होली की उमंग पर महंगाई की मार, सूना पड़ा बाजार



बिजुआ खीरी- (नागेन्द्र प्रताप शुक्ल) होली में अब कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। यानि छः दिन बाद 06 मार्च को होली होगी। पर्व नजदीक आते ही बाजार की रौनक भी बढ़ गई है। इस बार एक तो कोरोना दूसरी आसमान छूती महंगाई की मार ने होली के उमंग को फीका कर रखा है। हर बार होली के एक सप्ताह पहले से ही बाजार रंग बिरंगी पिचकारी से बाजार सज जाती थी। पर इस बार एक तो कोरोना और दूसरी ओर महंगाई के कारण बाजार में रौनक दिखाई नहीं दे रही है।


दुकानदार मुकेश श्रीवास्तवा ,कमलेश कुमार उर्फ अन्ना, सुशील गुप्ता सहित अन्य दुकानदारों ने बताया कि हर बार रंग, पिचकारी आदी का स्टॉक पहले ही कर लेते थे। पर इस बार कोरोना के कारण बाजार में चहल कदमी काफी कम हो रही है। कोरोना को लेकर लोग रंग, गुलाल की खरीदारी कम कर रहे है, लेकिन बच्चे में विशेष उत्साह है। बच्चे मुखौटा, रंग बिरंगे टोपी, रंग बिरंगे पिचकारी आदी की खरीदारी में जूट गए हैं। महंगाई की मार सबसे अधिक आम लोगों पर पड़ रही है। महंगाई के कारण आम आदमी त्योहार की खरीदारी करने में कतरा रहे है। बाजार में सन्नाटा पसरा हुआ है। दुकानदार ग्राहकों का इंतजार कर रहे है। मध्यम वर्गी परिवार अपने-अपने घरों में गुजिया का स्वाद भी लेने से कतरा रहे है। बाजार में कीमतें आसमान छू रही है। पिछले बार के तुलना में आटा, मैदा, चीनी, तेल सहित अन्य सामग्री की कीमतों में 15 से 20 फीसद की बढ़ोतरी हो गई है।


राशन विक्रेता राकेश गुप्ता
राशन विक्रेता राकेश गुप्ता





पर्व के नजदीक आते लगातार बढ़ रही खाद्य सामग्रियों की कीमत आसमान छू रही है। सहालग के मौसम में जहां खोया का रेट डेढ़ गुना से ज्यादा हो गया, वहीं होली की गुझिया की मिठास महंगाई फीकी करती दिख रही है। त्योहार के समय दैनिक उपयोग की वस्तुओं की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि होने से रसोई का बजट बिगड़ गया है।


शादी विवाह के सहालग के मौसम के बीच इस बार होली का त्योहार पड़ रहा हैं। सहालग के कारण बाजार में खोए की डिमांड काफी बढ़ी हैं। यही कारण है कि बाजार में खोया खोजे नहीं मिल रहा है। महंगाई से रंगों के त्योहार पर घर का पूरा बजट गड़बड़ा गया है। सरसों का तेल, डालडा, रिफाइंड के भाव पिछले दस-15 दिनों के अंदर आसमान पर पहुंच गये हैं। जिससे गरीबों की होली फीकी नजर आ रही है। महंगाई की रफ्तार ने गरीब और मध्यमवर्ग का बजट बिगाड़ दिया है। घी, तेल, डालना का एक महीने का स्टाक रखने वाले लोग आधा किलो, एक किलो से काम चला रहे हैं। अब होली पर्व पर अब त्योहार मेहमानों का स्वागत चिप्स, पापड़ व गुझिया के साथ कैसे करेंगे, यह सोच गरीब व मध्यवर्गीय लोगों को ¨चता बढ़ी है। किराना दुकानदार राकेश गुप्ता ने बताया कि होली के छः दिन बचे हैं, लेकिन ग्राहक भीड़ नजर नहीं आ रही है। जो लोग सामान खरीदने आ भी रहे हैं वह बहुत ही कम मात्रा में सामग्री ले रहे हैं। विक्रेता ने बताया कि घी, तेल, रिफाइंड, मेवा, की बिक्री बहुत कम है।


महंगाई और बढ़ती बेरोजगारी का असर अब हर तरफ देखा जा सकता है. लगभग हर सेक्टर में. नौकरी करने वाले, मजदूरी करने वाले से लेकर व्यवसाय करने वाले तक परेशान हैं. ऑनलाइन खरीदारी के बढ़ते क्रेज ने भी सीधे तौर पर छोटे-मंझोले कपड़ा व्यवसायियों की कमर तोड़ दी है. हमने इस बार कपड़ा व्यवसाय पर महंगाई और बेरोजगारी के असर की जानने की कोशिश की है। कपड़ा व्यवसायी पारुल राज , विद्यासागर मौर्या से जब जानकारी चाही तो बताया होली से पहले अपनी दुकान में लाखों का सामान उधार भरा था सोचा था अच्छी बिक्री होंगी तो यह सब चुकता कर दूंगा मगर अब तो मार्केट में ग्राहक ही नजर नही आते महंगाई की वजह से तो कर्जा कैसे निकलेगा यह सोचकर चिंतित हूं। त्योहार के आने से एक सप्ताह पूर्व से ही बाजारों में खरीदारी करने वालों की भीड़ लगी रहती है। होली के त्योहार में महज छः दिन शेष रह गए है लेकिन बाजारों में खरीदारी करने वाले लोग नदारत हैं।

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