पुलवामा शहीदों की वीरांगनाओं ने मांगी इच्छा मृत्यु, राज्यपाल से बोलीं- हमें गोली मार दीजिए

 



जयपुर: जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 2019 में हुए आतंकवादी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के तीन जवानों की वीरांगनाओं के साथ बीजेपी सांसद किरोड़ी लाल मीणा का पिछले 5 दिन से धरना जारी है जहां राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने जाने के दौरान शनिवार को वीरांगनाएं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलने के लिए मुख्यमंत्री आवास पहुंची. वहीं इस दौरान पुलिस के साथ धक्कामुक्की हुई जिसमें शहीद रोहिताश्व लांबा की पत्नी वीरांगना मंजू जाट घायल हो गई जिन्हें एसएमएस हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया. वहीं किरोड़ी मीणा ने शनिवार को राज्यपाल से मुलाकात के बाद यह दावा किया कि शहीद हुए सीआरपीएफ के तीन जवानों की वीरांगनाओं ने राजस्थान सरकार की ओर से किए गए वादों को पूरा नहीं किया है ऐसे में उन्होंने राज्यपाल कलराज मिश्र से इच्छा मृत्यु की मांग की है.

इस दौरान शहीदों की वीरांगनाओं ने कहा कि उनके पतियों ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए और राज्य सरकार उनकी शहादत के सम्मान में की गई घोषणाओं को पूरा नहीं कर रही है और उनके परिवारों को अपमानित किया जा रहा है. वहीं राज्यपाल को ज्ञापन देने के बाद वीरांगनाओं के मुख्यमंत्री आवास की ओर जाते समय पुलिस के साथ झड़प हो गई.


पुलिस पर बदसलूकी का आरोप

बता दें कि बीजेपी सांसद किरोड़ीलाल मीणा पिछले कुछ दिनों से शहीदों के परिजनों के साथ जयपुर में धरने पर बैठे हैं जहां शनिवार को वह शहीदों की विधवाओं के साथ राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपने राजभवन गए थे जहां राजभवन से बाहर आने के बाद मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच करते समय पुलिस ने उन्हें रोक लिया जिसके बाद सांसद ने कहा कि शनिवार को तीनों वीरांगनाओं के साथ राज्यपाल कलराज मिश्र से मिलने के बाद मुख्यमंत्री आवास की ओर जाते समय पुलिस ने उनके साथ अभद्रता की.

वहीं इस दौरान शहीद रोहिताश्व लांबा की पत्नी मंजू जाट ने कहा कि हम लोकतांत्रिक तरीके से अपनी मांगों को सरकार के सामने रख रहे हैं लेकिन सरकार हमारे साथ अपराधियों जैसा सलूक कर रही है. जाट ने कहा कि हमारी कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही और मुख्यमंत्री मुलाकात नहीं कर रहे हैं. मंजू जाट ने कहा कि यदि सरकार को इतनी परेशानी हो रही है तो पुलिस को हमारे सीने में गोली मार देनी चाहिए.




गांधीवादी मुख्यमंत्री मिल नहीं रहे : किरोड़ीलाल मीणा

वहीं किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि सरकार वीरांगनाओं के साथ तानाशाही रवैया अपना रही है. उन्होंने कहा कि क्या मुख्यमंत्री से मिलने के लिए जाना कोई अपराध है? वहीं उन्होंने बताया कि शहीदों की विधवाओं मंजू जाट, मधुबाला, सुंदरी देवी और रेणु सिंह के साथ राजभवन जाकर ज्ञापन दिया है जिसमें ‘इच्छा मृत्यु’ की मांग की गई है.

वहीं सरकार से जुड़े लोगों ने बताया कि पुलवामा में शहीद हुए रोहिताश्व लाम्बा के परिवार को पात्रता के मुताबिक सभी ग्रांटस के हिसाब से सहायता दी जा चुकी है जिसमें शहीद के परिवार को 50 लाख रुपए और माता-पिता को 5 लाख रुपए की राशि दी गई है.

वहीं शहीद के भाई को नौकरी की मांग पर सरकार का पक्ष है कि नियमों में केवल शहीद की पत्नी या बच्चे को नौकरी देने का प्रावधान है और शहीद के बेटे को उम्र नौकरी के हिसाब से नहीं है जिसे योग्य होने पर नौकरी दी जाएगी.

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