यूं ही नहीं कोई भी बेच सकता है दवाईयां, अब सरकार ने सख्त किए ये नियम

 



भारत के ड्रग नियामक DCGI ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ड्रग कंट्रोलर और फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया को एक अहम खत लिखा है. इसमें उन्होंने उनसे यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि रिटेल मेडिकल स्टोर्स में फार्मासिस्ट खुद मौजूद रहे और दवाइयों की बिक्री उसकी सीधी निगरानी में हो. एक खत में, ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) डॉ राजीव सिंह रघुवंशी ने रिटेल फार्मेसी में फार्मेसी एक्ट, 1947 के सेक्शन 42 (a) और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1945 के रूल्स 65 के क्रियान्वयन की बात कही है.


क्या हैं नए निर्देश?

DCGI ने 9 मार्च को भेजे गए एक खत में कहा कि यह सुनिश्चित करें कि रिटेल फार्मेसी या मेडिकल स्टोर्स में फार्मासिस्ट फिजिकल तौर पर मौजूद रहें और दवाइयां उनकी सीधी निगरानी में बेची जाएं. इसमें कहा गया है कि यह सुनिश्चित करें कि बिना सही और मान्य प्रिसक्रिप्शन के रिटेल मेडिकल की दुकानों से कोई प्रिसक्रिप्शन दवाई की बिक्री नहीं करें.

ड्रग रेगुलेटर ने मुंबई के IPA में राष्ट्रीय महासचिव सुरेश खन्ना की चिट्ठी का हवाला दिया है, जिसमें उन्होंने फार्मेसी एक्ट, 1947 के सेक्शन 42(a) और ड्रग्स कॉस्मैटिक्स एक्ट, 1945 के रूल्स 65 के क्रियान्वयन से जुड़े मामलों को उजागर किया गया है.

इससे पहले पिछले महीने प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना के तहत फार्मास्यूटिकल्स विभाग (डीओपी) ने फार्मास्यूटिकल्स के लिए पहली किश्त जारी की थी. बता दें कि इसके तहत चार चयनित आवेदकों को फार्मास्युटिकल्स की 166 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन राशि की पहली किश्त जारी की गई थी. इस कदम का असर देश में उच्च स्तरीय चिकित्सा उपकरणों के पुर्जों के निर्माण में आत्मनिर्भरता की दिशा में नजर आएगा.

सरकार की आत्मनिर्भर पहल के तहत, फार्मास्यूटिकल्स विभाग ने 2021 में फार्मास्यूटिकल्स के लिए पीएलआई योजना शुरू की. इस पीएलआई योजना के तहत वित्तीय परिव्यय छह साल की अवधि में 15,000 करोड़ रुपए है. योजना के तहत अब तक 55 आवेदकों का चयन किया गया है, जिनमें 20 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) शामिल हैं. 2022-2023 का वित्त वर्ष पीएलआई योजना के लिए उत्पादन का पहला साल है, डीओपी ने बजट परिव्यय के रूप में 690 करोड़ रुपए निर्धारित किए हैं.

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