दरअसल 30 वर्षीय रऊफ उमर खान पर आरोप था कि उसने लड़क पर लड़ाई की और शख्स को जख्मी भी किया. अदालत के आदेश के मुताबिक आरोपी ने कोर्ट को बताया कि वह एक गरीब आदमी है और परिवार की आजीविका उसी जिम्मे है. ऐसे में अदालत ने उसपर रहम खाया और 21 दिनों तक 5 वक्त की नमाज़ पढ़ने का हुक्म दिया. दरअसल 'प्रोबेशन फॉर ऑफेंडर्स एक्ट' के तहत अदालत अपराधी को इस शर्त पर वार्निंग देकर रिहा कर सकती है कि आरोपी फिर से जुर्म न करे.
इसी पर अमल करते हुए मजिस्ट्रेट ने कहा कि "मेरे मुताबिक वार्निंग देने का मतलब यह समझना है कि जुर्म किया गया है, आरोपी का जुर्म साबित हो गया है और उसे याद रखना चाहिए ताकि वह जुर्म को दोबारा न करे." इसलिए मजिस्ट्रेट ने कहा कि इस शर्त पर छोड़ना मुनासिब होगा कि वो कल से 21 दिनों तक लगातार फज्र, ज़ौहर, अस्र, मग़रिब और इशा (पाचों वक्त की नमाज़ के नाम) की नमाज़ अदा करे.
13 साल पुराना है मामला: हैरानी की बात यह है कि आरोपी जिस मामले में सज़ा दी गई है वह साल 2010 का है. जानकारी के मुताबिक रऊफ खान का ऑटोरिक्शा एक मोटरसाइकिल से टकरा गया था, जिसके बाद रऊफ और बाइक के मालिक के साथ विवाद हुआ था. पुलिस का आरोप है कि रऊफ खान ने शिकायतकर्ता के साथ गाली-गलौज की और मारपीट की, जिससे वह घायल हो गया.
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